Saturday, December 08, 2007

क्या तुम सबसे अलग हो


हाँ तुम सबसे अलग हो

मानो या ना मानो तुम सबसे जुदा हो

है दुनिया की समझ जिसे

वो मेरे लिए सबसे हसीं है

ऐसी समझ वाली पायी मैंने

ये तो मेरा अच्चा नसीब है

सूझ -बूझ के साथ चले हर दम

फूंक फूंक के रखे हर कदम

प्यार न करे कोई उससे ज्यादा

साथ जीने मरने का रखती इरादा

दुःख मेरा छीन सुख अपना दे दे

बिन मांगे खुशियों से झोली मेरी भर दे

मेरे दिल की बात जान रो दे

साथ मेरा उसका हर दम हो

बस भगवान् मेरा इतना काम कर दो

खुद से ज्यादा करे मेरी चिंता

चोट मुझे लगे तो दिल उसका दुखता

इतनी मासूम , इतनी भोली है

पगली दूसरो के लिए रोती है

मेरे संग हस्ती मेरे संग झगड़ती

जान मेरी बस मेरे लिए जीती है

मैं जो रुथु तो मुझे झट मना ले

मेरी गलती की सजा खुद ही को दे

भरोसे की कीलो पर टिकी अपनी दास्ताँ

कठिन है डगर , मुश्किल है रास्ता

दुनिया को भूल मुझे अपनाया

कहे हर पल ये ही

‘तुम्हारे सा प्यार किसी से न पाया है ’

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