Tuesday, August 18, 2015

कागज़, मेरे दोस्त



कागज़  तुम कभी कहीं मत जाना,

जब भी मैं खुश रहूँगा तुम्हारे पास  ही आऊंगा,

मेरा प्यार, मेरी कहानियाँ, मेरे सुख-दुःख सबको सच माना तुमने,

कागज़  तुम कभी कहीं मत जाना,

जब भी मैं उदास रहूँगा तुम्हारे पास  ही आऊंगा,

मेरी बातें, मेरी शिकायतें, मेरा गुस्सा, सब सुना तुमने,

ना कोई शिकन, ना कोई परेशानी,

हर बार एक नया पन्ना, एक नयी कहानी,

मुझे याद नहीं पड़ता की तुम्हे कभी कोई रिश्वत दी हो ये सब सहने के लिए,

या माँ ने कहा था तुम्हे हमेशा मेरे साथ रहने के लिए,

हर आंसू मेरा सोख लिया, खुद गीला हो तू फ़ट गया,

कहाँ मिलेगा ऐसा दोस्त, मेरी हर ख़ुशी मेरा हर ग़म अपने अंदर समां लिया,

कागज़ मेरे दोस्त तुम कभी मुझे छोड़ कहीं मत जाना 

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