वो अपनी मौत पे हँसता है
कहता है कफ़न चादर से सस्ता है
कठिन हर डगर , मुश्किल हर रास्ता है
जिंदगी उसके लिए काटों का गुलदस्ता है
उस दल -दल में वो ऐसा गिरा है
जितना बाहर निकलने की कोशिश करे
गहरायिओं में उतनी वो धंसता है
न उसे कोई परवाह , न किसी से वास्ता है
मौत तो अब जैसे उसके लिए एक फरिश्ता है
पागल सा मारा मारा फिरता है
न जाने क्या क्या वो सहता है
चेहरे पे न कोई एहसास , न कोई आंसू बहता है
बस अगर उसका चले
हात पैर वो बेच देता
कुछ सुख वो खरीद ले
अगर वो कही बिकता है
हालत उसकी देख इस दुनिया का दिल जाने क्यों नहीं दुखता है
हर किसी को अपनी पड़ी है , हर कोई बस यहाँ भागता है
देख के भी कुछ नहीं बोलते जैसे कोई कुछ नहीं जानता है
शायद लोग इसलिए चुप रह जाते हैं
क्योंकि कहीं न कहीं हर कोई अपनी जिंदगी ऐसे ही काटता है
कहता है कफ़न चादर से सस्ता है
कठिन हर डगर , मुश्किल हर रास्ता है
जिंदगी उसके लिए काटों का गुलदस्ता है
उस दल -दल में वो ऐसा गिरा है
जितना बाहर निकलने की कोशिश करे
गहरायिओं में उतनी वो धंसता है
न उसे कोई परवाह , न किसी से वास्ता है
मौत तो अब जैसे उसके लिए एक फरिश्ता है
पागल सा मारा मारा फिरता है
न जाने क्या क्या वो सहता है
चेहरे पे न कोई एहसास , न कोई आंसू बहता है
बस अगर उसका चले
हात पैर वो बेच देता
कुछ सुख वो खरीद ले
अगर वो कही बिकता है
हालत उसकी देख इस दुनिया का दिल जाने क्यों नहीं दुखता है
हर किसी को अपनी पड़ी है , हर कोई बस यहाँ भागता है
देख के भी कुछ नहीं बोलते जैसे कोई कुछ नहीं जानता है
शायद लोग इसलिए चुप रह जाते हैं
क्योंकि कहीं न कहीं हर कोई अपनी जिंदगी ऐसे ही काटता है
No comments:
Post a Comment