Friday, November 17, 2006

चाहत



खुशियाँ उसकी मेरी चाहत बनी ,


नजदीकियां उसकी मेरी ताकत बनी ,

पल दो पल ही तो है जीना ,

आरजू है मेरी बस इतनी ,

इन्ही पल दो पल में दू उसे ढेरो खुशियाँ ,

दूरियां तो कुछ वक़्त साथ है,

ज़िन्दगी भर फिर हाथो में हाथ है ,

ज़िन्दगी गुजारनी है संग उसके ,

चाहत है की ज़िन्दगी उसकी मेरी दी खुशियों से मह्के ,

जाने कितनी खुशियाँ बाटी ,

जाने कितने आसू उसके संग बहाए ,

दूर रहकर उससे अब मुझसे जिया न जाये ,

उसकी खिलखिलाहट के लिए हर पल तरसु ,

कैसे वो मुस्कुरा दे ,

हर पल बस येही मैं सोचु ,

अब मुश्किल है ये रातें ,

लम्बे है ये दिन ,

पल नहीं ये कटते ,

नहीं जीना उसके बिन ,

दिन में है चैन नहीं ,

देखते है ये सूने नैन वही ,

खुशियों के पल जो गुज़रे संग ,

रंग भरे उसमे थी जिंदगी जो बे रंग ,

कलम चले तो नाम लिखू उसका ,

उसकी यादों से धडके ये दिल मेरा ,

आँख खुली हो या बंद ,

दिखे चेहरा उसका ,

खुशिया उसकी देख के जीवन सफल हुआ मेरा .

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