Sunday, July 22, 2007

और वो चला गया..



साँसे थी रोक रखी,
ज़ुबा भी कुछ बोल न सकी,

दिल था उदास, आँसू थे छलक रहे,
इंतज़ार कर रहा था, कोई मुझसे भी कुछ कहे,

खड़ा रहा वहाँ मैं अकेला,
रुका रहा वहाँ मैं वहाँ जहाँ से था वो चला,

सर झुका के चलता गया,
छुप छुप के लेता रहा वो भी सिसकियाँ,

भीड़ में गुम वो हो रहा था,
मेरा सब कुछ खो रहा था,

देखा भी ना मुड के उसने एक बार,
टूट गया मैं जैसे बादल का बिगड़ता विकार,

मैं देखता रहा और वो चला गया,
जाने कितने ख्वाब टूटे, जाने मैं कब तक रोता रहा !!

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