आज जो संग हो चले
बस कल तक निभाना है
कहाँ रुक जाए कौन
किसी का कोई ठिकाना है
सफ़र है थोड़ी सी दूर का
बातों-बातों में बिताना है
बस कल तक निभाना है
कहाँ रुक जाए कौन
किसी का कोई ठिकाना है
सफ़र है थोड़ी सी दूर का
बातों-बातों में बिताना है
मिले जो साड़ी खुशियाँ बन मुसाफिर
ना मिले थोड़े ग़म तो क्या फ़साना है
इतना सा जो है रास्ता
मुस्कुराहटों से ही तो सजाना है
है जो अपना
किसी ने मांग लिया तो क्या जताना है
किसी ने मांग लिया तो क्या जताना है
जो पा लिया सो पा लिया
ना मिले कुछ उसके लिए क्या घबराना है
जो बढ़ाया किसी ने हाथ तो ठीक
खुद गले लगाने में क्या शर्माना है
चलते चलो
बस कुछ दूर ही तो जाना है
No comments:
Post a Comment