बचपन में जब जब आसमा की और देखता था ,
हर तारे में अपना एक सपना रखता था ,
कोई तारा टूट गया ,तो कोई मुझसे रूठ गया ,
कोई तारा फूट गया ,तो कोई मुझसे छूट गया ,
आज कई सालो बाद ऐसी फुर्सत मिली है ,
जो भी खोया उसे पाने की हसरत खिली है ,
अब में कुछ ज्यादा ही मसरूफ हूँ ,
जो कुछ भी बचा है अब उससे भी दूर हूँ !!!
हर तारे में अपना एक सपना रखता था ,
कोई तारा टूट गया ,तो कोई मुझसे रूठ गया ,
कोई तारा फूट गया ,तो कोई मुझसे छूट गया ,
आज कई सालो बाद ऐसी फुर्सत मिली है ,
जो भी खोया उसे पाने की हसरत खिली है ,
अब में कुछ ज्यादा ही मसरूफ हूँ ,
जो कुछ भी बचा है अब उससे भी दूर हूँ !!!
2 comments:
i will assume that u actually want comments, so am giving them, not trying to be nit picky
to phoot jam raha nahi, matlab takleef samajhti hoon, toot, rooth, choot ke sang aur kiska pras milega, par ..... jam raha nahi,with all due respect of course. its just my personal opinion.
aur aakhir ke do mein
pehle aap ne kaha fursat hai aur phir aap kehte hain masroof hain..... hmmm
it was nice, it started very well.
Waise the words you have chosen are quite romantic. But the problem is that, when you are using urdu words the credit of word selection does not go much to you. Poori bhasha hi romantic hai, kyaa karein.
The credit in this case should go to the idea, on which you need to work more. There are a few ironies, as mentioned in the previous comment. These need to be worked on.
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